जीतिया व्रत 2025: हिंदू धर्म में मातृ प्रेम और संतान की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाले व्रतों में जीतिया व्रत (जिवित्पुत्रिका व्रत) का विशेष महत्व है। इस वर्ष जीतिया व्रत 2025, 15 सितम्बर (सोमवार) को रखा जाएगा। यह व्रत खासतौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस व्रत की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी माताएँ पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे करती हैं।
जीतिया व्रत 2025 की अवधि और पारण
जीतिया व्रत की खास बात यह है कि यह पूर्ण 24 घंटे का निर्जला उपवास होता है। इसका मतलब है कि व्रत करने वाली महिलाएँ पूरे दिन और रात बिना अन्न और जल ग्रहण किए यह व्रत करती हैं।
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नहाय-खाय की तिथि: 14 सितम्बर 2025 (रविवार)
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व्रत की मुख्य तिथि: 15 सितम्बर 2025 (सोमवार)
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पारण का दिन: 16 सितम्बर 2025 (मंगलवार) प्रातः काल
पारण का समय विशेष महत्व रखता है। पंडितों के अनुसार यदि पारण सही मुहूर्त में किया जाए तो व्रत का पूरा फल मिलता है।
नहाय-खाय का महत्व (14 सितम्बर)
जीतिया व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय की परंपरा होती है। इस दिन महिलाएँ सुबह जल्दी स्नान करके शुद्ध सात्विक भोजन करती हैं। नहाय-खाय का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना होता है, ताकि अगले दिन निर्जला व्रत करने की शक्ति और संकल्प मिल सके।
ग्रामीण इलाकों में इस दिन महिलाएँ चावल, दाल और साग जैसी चीजें विशेष रूप से खाती हैं।
जीतिया व्रत की पूजा विधि (15 सितम्बर)
15 सितम्बर को सूर्योदय के साथ व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन महिलाएँ पूरे दिन निर्जल रहती हैं और संतान की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
पूजन विधि इस प्रकार है:
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व्रतधारी महिलाएँ स्नान करके पवित्र वस्त्र पहनती हैं।
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भगवान सूर्यदेव, चंद्रदेव और जीवित्पुत्रिका माता की पूजा करती हैं।
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व्रत की कथा सुनी और सुनाई जाती है।
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घर में अखंड दीपक जलाया जाता है जो पूरी रात जलता रहता है।
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भगवान शिव-पार्वती और भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है।
पूरे दिन महिलाएँ भजन-कीर्तन करती हैं और बच्चों के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
जीतिया व्रत का पारण (16 सितम्बर)
16 सितम्बर 2025 (मंगलवार) की सुबह पारण होगा। पारण का मतलब व्रत का समापन होता है।
पारण से पहले महिलाएँ एक बार फिर पूजा करती हैं और व्रत की कथा को याद करती हैं। इसके बाद पंडित जी के बताए मुहूर्त में जल और फल ग्रहण करके व्रत तोड़ा जाता है।
जीतिया व्रत का महत्व
जीतिया व्रत सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि मातृत्व की शक्ति और त्याग का प्रतीक है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से बच्चों की आयु लंबी होती है, वे रोग-मुक्त रहते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का संबंध जिमूतवाहन राजकुमार की कथा से है, जिन्होंने दूसरों की संतान की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान कर दिया था। तभी से यह व्रत माताएँ अपनी संतान की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए करने लगीं।
जीतिया व्रत में सावधानियाँ
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व्रत के दौरान पूर्ण रूप से निर्जला उपवास रखें।
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यदि स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो तो पंडित की सलाह से फलाहार या जल लिया जा सकता है।
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व्रत के दौरान मन, वाणी और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
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पारण हमेशा सही समय पर और विधि अनुसार ही करें।
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पूजा में लापरवाही न बरतें और कथा अवश्य सुनें।
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निष्कर्ष
जीतिया व्रत 2025, 15 सितम्बर को मनाया जाएगा और यह व्रत माताओं के लिए अपनी संतान की दीर्घायु और मंगलमय जीवन की कामना करने का श्रेष्ठ अवसर है। इस व्रत की परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यह मातृत्व की महानता और त्याग को भी दर्शाती है।
यदि व्रत विधिपूर्वक किया जाए तो इसका फल निश्चित रूप से मिलता है और संतान का जीवन सुखमय बनता है।

मैं Abhishek Kumar भक्ति, आरती, चालीसा और स्तोत्र जैसे धार्मिक विषयों पर भावपूर्ण और सरल लेख लिखता हूँ, ताकि हर पाठक आरती, चालीसा और स्तोत्रों के माध्यम से सनातन संस्कृति से गहराई से जुड़ सके।