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Ram ji Ki Aarti || श्री रामचंद्रजी की आरती… श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।

Ram ji Ki Aarti: हमारे हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय और पवित्र माना गया है। यह आरती भगवान श्री रामचंद्र जी को समर्पण का मार्ग दिखाता है, आरती का श्रद्धा भाव से पाठ करने से घर में सुख समृद्धि आती हैं। आइए राम जी के आरती हिंदी में पढ़ते है अर्थ के साथ।

श्री राम की पूजा

  • श्री राम जी की आरती: श्री राम जी की आरती करने से मन को शांति मिलती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
  • श्री रामचंद्रजी की आरती: श्री रामचंद्र जी की आरती करने से श्री राम की कृपा प्राप्त होती है।
  • रामनवमी: श्री राम के जन्मदिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है।

श्री रामचंद्रजी की आरती || Ram ji Ki Aarti


श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

अर्थ:
हे कृपालु श्री रामचंद्र! मैं आपका भजन करता हूँ, क्योंकि आप संसार के भय और दुखों को दूर करने वाले हैं। आपकी आँखें नए कमल के समान हैं, आपका मुख, हाथ और चरण भी कमल के समान कोमल और सुंदर हैं।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

अर्थ:
आपकी छवि अगणित और अमूल्य है। आप नीलकमल के समान सुंदर हैं और पीतांबर धारण किए हुए हैं। आपकी आभा बिजली के समान चमकदार और पवित्र है। मैं जनकनंदिनी सीता के साथ आपको नमन करता हूँ।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

अर्थ:
हे दीनबंधु! हे सूर्य के समान तेजस्वी! आप दानवों और दैत्यों के वंश का नाश करने वाले हैं। आप रघुकुल के आनंदस्वरूप, कौशल्या के पुत्र और दशरथ नंदन हैं। मैं आपका भजन करता हूँ।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

अर्थ:
आपके सिर पर मुकुट, कानों में कुंडल और मस्तक पर सुंदर तिलक है। आपके शरीर पर उदार आभूषण सुशोभित हैं। आपकी भुजाएँ घुटनों तक लंबी हैं, और आप धनुष-बाण धारण करते हैं। आपने खर और दूषण जैसे राक्षसों को युद्ध में पराजित किया है।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

अर्थ:
तुलसीदास जी कहते हैं कि हे शंकर, शेषनाग और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले श्री राम! मेरे हृदय रूपी कुंज में निवास करो और काम, क्रोध आदि विकारों तथा दुष्टों का नाश करो।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

अर्थ:
हे प्रभु! जो भक्त आपके मन में बसता है, उसे आपकी कृपा से सहज ही सुंदर स्वरूप प्राप्त होता है। आप करुणा के सागर हैं और सभी के हृदय को जानने वाले हैं।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

अर्थ:
माता गौरी की ऐसी आशीर्वादपूर्ण बातें सुनकर सीता जी के साथ श्री राम का हृदय प्रसन्न हो गया। तुलसीदास जी ने भवानी की पूजा की और बार-बार प्रसन्न मन से मंदिर की ओर चले गए।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

अर्थ:
तुलसीदास जी कहते हैं कि माता गौरी की कृपा से सीता जी का हृदय इतना प्रसन्न हो गया कि उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उनका वाम अंग (हृदय) मंगलमय होकर फड़कने लगा।


श्री राम जी की दूसरी आरती || Ram Bhagwan Ki Aarti

आरती कीजे श्री रामलला की
आरती कीजे श्री रामलला की
रघुनंदन सम्पूर्ण कला की
रघुनंदन सम्पूर्ण कला की
आरती कीजे श्री रामलला की ॥1॥
नारायण नर बनकर आये
रघुकुल नंदन राम कहाये
नारायण नर बनकर आये
रघुकुल नंदन राम कहाये
कौशल्या सूत राजिव लोचन
दशरथ सूत हरी भव भय मोचन
आरती कीजे श्री रामलला की ॥2॥
भरत लखन शत्रुघन समेता
प्रगटे अवध में कृपा निकेता
भरत लखन शत्रुघन समेता
प्रगटे अवध में कृपा निकेता
धनुष बाण दिव्य युद्ध धारी
जनम निरंजन अवध बिहारी
आरती कीजे श्री रामलला की ॥3॥
गुरु वशिष्ठ से विद्या पाये
विश्वामित्र का यज्ञ बचाये
गुरु वशिष्ठ से विद्या पाये
विश्वामित्र का यज्ञ बचाये
तार अहिल्या मिथिला आये
जनकसुता से ब्याह रचाये
आरती कीजे श्री रामलला की॥4॥
पिता वचन हित वन को ध्याये
रावण वध कर अवध को आये
पिता वचन हित वन को ध्याये
रावण वध कर अवध को आये
सिय संग सिंघासन को सजाये
राम राज त्रिभुवन में लाये
आरती कीजे श्री रामलला की॥5॥
जय जय मर्यादा अवतारी
जय जय धनुष बाण के धारी
जय जय मर्यादा अवतारी
जय जय धनुष बाण के धारी
जय सीतापति जय असुरारी
जय रघुनायक अवध बिहारी
आरती कीजे श्री रामलला की॥6॥
राम सिया की आरती पावनी
सकल दोष दुःख ताप ना सावनी
राम सिया की आरती पावनी
सकल दोष दुःख ताप ना सावनी
शिव आज इंद्र संत मन भावनि
पांच रोग तय ताप मिटावनी
आरती कीजे श्री रामलला की॥7॥
राम चरण में जो चित लावे
प्रेम भक्ति से गुण यश गावे
राम चरण में जो चित लावे
प्रेम भक्ति से गुण यश गावे
अक्षय सुख यश वैभव पावे
अंत काल भव से तर जावे
आरती कीजे श्री रामलला की
रघुनंदन सम्पूर्ण कला की
आरती कीजे श्री रामलला की॥8॥

यहां 👉 श्री राम चालीसा पढ़ें।

निष्कर्ष:

यह आरती भगवान श्री राम की महिमा का वर्णन करती है और उनकी कृपा प्राप्त करने का सरल मार्ग दिखाती है। इसे पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ गाने से मन को शांति और आत्मिक आनंद की प्राप्ति होती है। भगवान राम की कृपा से सभी दुखों और भयों का नाश होता है।

जय श्री राम! 🙏

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