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माँ ब्रह्मचारिणी: चैत्र नवरात्रि 2025 द्वितीया 31 मार्च माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि और मंत्र जाप।

माँ ब्रह्मचारिणी चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह नौ दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का समय होता है। 31 मार्च 2025 को चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन साधक माँ की विधिवत उपासना करके तप, साधना, और संयम का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए, जानते हैं कि कैसे करें माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा और कौन-सा भोग लगाएँ।

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप एवं महत्व

माँ ब्रह्मचारिणी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। इनके नाम में “ब्रह्म” (तपस्या) और “चारिणी” (आचरण करने वाली) शब्द समाहित हैं, जो इनके तपस्वी स्वभाव को दर्शाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इन्हें ज्ञान और मोक्ष की देवी माना जाता है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है: दाएँ हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमंडल धारण किए हुए, ये सफेद वस्त्र पहनकर हिमालय की कंदराओं में तपस्या करती प्रतीत होती हैं।

पूजा की तैयारी

  1. शुद्धता: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. वेदी सज्जा: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके लाल या पीले कपड़े से सजाएँ। माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. कलश स्थापना: मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, सिक्का, और आम के पत्ते रखें। कलश के ऊपर नारियल लपेटकर रखें।
  4. अखंड दीप: घी का दीपक जलाएँ और पूरे दिन इसे बुझने न दें।

माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

  1. ध्यान एवं आवाहन:
    सबसे पहले माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें। मंत्र:
    “दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”
    इसके बाद फूल, अक्षत, और चावल चढ़ाकर माँ का आवाहन करें।
  2. घटस्थापना:
    कलश के सामने रोली, चावल, और फूल चढ़ाएँ। माँ दुर्गा के सभी नौ रूपों का स्मरण करें।
  3. षोडशोपचार पूजा:
    • गंध: चंदन का लेप लगाएँ।
    • पुष्प: सफेद या गुलाबी फूल अर्पित करें।
    • धूप-दीप: कपूर या गुग्गल की धूप दें।
    • नैवेद्य: भोग लगाएँ (विस्तार नीचे देखें)।
    • आरती: “जय ब्रह्मचारिणी माता…” आरती गाएँ।
  4. मंत्र जाप:
    नवरात्रि के दूसरे दिन निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें:
    “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥”

माँ ब्रह्मचारिणी विशेष भोग एवं प्रसाद

माँ ब्रह्मचारिणी को मीठे फल और मिष्ठान्न अत्यंत प्रिय हैं। भोग में निम्न चीज़ें शामिल करें:

  • शक्कर या मिश्री: यह माँ के तपस्वी स्वभाव का प्रतीक है।
  • पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण।
  • फल: केला, सेब, या नारियल।
  • हलवा या खीर: सात्विक तरीके से बनाया गया।

भोग लगाने के बाद प्रसाद को सभी परिवारजनों में बाँटें। मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

माँ ब्रह्मचारिणी व्रत एवं साधना के नियम

  • इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
  • फलाहारी उपवास रखें। अनाज, नमक, या तेल का सेवन न करें।
  • माँ की कथा पढ़ें या सुनें। दिनभर सात्विक आचरण रखें।
  • रात्रि में हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने से माँ की कृपा बढ़ती है।

माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा के लाभ

  • तपस्या, धैर्य, और आत्मनियंत्रण की प्राप्ति।
  • शिक्षा एवं ज्ञान के क्षेत्र में सफलता।
  • कठिन परिस्थितियों में मानसिक बल।
  • वैवाहिक जीवन में सुख-शांति।
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निष्कर्ष

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन आत्मशुद्धि और संकल्प का दिन है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से हमें जीवन में अनुशासन और लक्ष्य के प्रति समर्पण की शक्ति मिलती है। 31 मार्च 2025 को श्रद्धा से की गई उपासना माँ के आशीर्वाद को सुनिश्चित करेगी। जय माता दी!

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