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Akshaya Tritiya 2025: पूजा विधि सोना खरीदने का श्रेष्ठ समय और महत्वपूर्ण उपाय यहाँ जानें सबकुछ!

Akshaya Tritiya 2025
Akshaya Tritiya 2025: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे “आखा तीज” के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय (कभी नष्ट न होने वाला) होता है। वर्ष 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार (Akshaya Tritiya 2025) को मनाई जाएगी। आइए, इस पर्व से जुड़े सभी पहलुओं को विस्तार से जानते हैं।

अक्षय तृतीया 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  1. पौराणिक मान्यताएं:

    • इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था।

    • महाभारत में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था, जो इसी तिथि से जुड़ा है।

    • इस दिन से “सतयुग” की शुरुआत भी मानी जाती है।

  2. लक्ष्मी-विष्णु की आराधना:

    • इस दिन विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-समृद्धि बनी रहती है।

    • तुलसी दल, पीले चंदन, और खीर का भोग लगाने की परंपरा है।

  3. शुभ कार्यों की शुरुआत:

    • नया व्यवसाय, विवाह, गृहप्रवेश, या सोना-चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।

पूजा सामग्री और विधि (Akshaya Tritiya 2025 Puja Vidhi)

सामग्री:
रोली, चावल, फूल, धूप, दीप, मिठाई, तुलसी दल, पीला चंदन, गंगाजल, और जौ का सत्तू।

विधि:

  1. स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।

  2. जल, फूल, और अक्षत लेकर संकल्प करें।

  3. विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  4. पंचामृत से अभिषेक करें और लाल वस्त्र अर्पित करें।

  5. मंत्रों का जाप करें:

    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय (विष्णु मंत्र)

    • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः (लक्ष्मी मंत्र)

  6. धूप-दीप जलाकर आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

विशेष उपाय और दान-पुण्य (Akshaya Tritiya 2025 Upay)

सोने की खरीदारी का महत्व और दर (Akshaya Tritiya 2025 Gold Rate)

महाराष्ट्र में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025 Marathi)

महाराष्ट्र में इसे “आखा तीज” कहा जाता है। यहां लोग नए बर्तन खरीदते हैं और विशेष रूप से पूरन पोली (मीठी रोटी) बनाकर भगवान को भोग लगाते हैं। कई परिवार गरीबों को वस्त्र और अनाज दान करते हैं तथा तुलजापुर के विट्ठल मंदिर में जाकर पूजा करते हैं।

निष्कर्ष

अक्षय तृतीया का पर्व आस्था और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन पूजा, दान, और सोने की खरीदारी जैसे शुभ कार्यों से जीवन में सुख-शांति बढ़ती है। साथ ही, यह त्योहार हमें परोपकार और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। 30 अप्रैल 2025 को इस शुभ दिन का लाभ उठाएं और अपने जीवन में खुशियों की बरसात करें!

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