नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। यह देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप माना जाता है, जिन्होंने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इनकी उपासना से भक्तों के जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य, और समृद्धि का संचार होता है। इस लेख में पढ़ें माँ कूष्मांडा की पूर्ण आरती, मंत्र, कथा, और साथ ही सिद्धिदात्री माता की आरती का महत्व।
माँ कूष्मांडा की संपूर्ण आरती | Full Aarti of Maa Kushmanda
नवरात्रि के चौथे दिन इस आरती को भक्ति भाव से गाएँ:
जय कूष्मांडा माँ मैया जय कूष्मांडा माँ शरण तिहारी आए शरण तिहारी आए कर दो माता दया…
अष्टभुजा जय देवी
आदिशक्ति तुम माँ
मैया आदिशक्ति तुम माँ
आदि स्वरूपा मैया
आदि स्वरूपा मैया
जग तुमसे चलता…
चतुर्थ नवरात्रों में
भक्त करे गुणगान
मैया भक्त करे गुणगान
स्थिर मन से माँ की
स्थिर मन से माँ की
करो पूजा और ध्यान…
सच्चे मन से जो भी
करे स्तुति गुणगान
मैया करे स्तुति गुणगान
सुख समृद्धि पावे
सुख समृद्धि पावे
माँ करे भक्ति दान…
माँ कूष्मांडा का मंत्र | Mantra for Blessings
माँ की कृपा पाने के लिए निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
अर्थ: “मैं देवी कूष्मांडा को प्रणाम करता/करती हूँ।”
इस मंत्र के नियमित जाप से रोग दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है।
माँ कूष्मांडा की कथा | The Legend of Creation
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि में अंधकार था, तब माँ कूष्मांडा ने अपनी हल्की हंसी (“कूष्म” अर्थात छोटी ऊर्जा) से ब्रह्मांड को जन्म दिया। इनकी आठ भुजाओं में चक्र, गदा, कमल, अमृत कलश, कमंडल, जपमाला, वरदमुद्रा, और अभयमुद्रा विराजमान हैं। इनका वाहन सिंह है, और यह सूर्यलोक में निवास करती हैं। इनकी उपासना से भक्तों के जीवन का अंधकार दूर होता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
निष्कर्ष
माँ कूष्मांडा की आराधना नवरात्रि के चौथे दिन जीवन में उजाला और संतुलन लाती है। उनकी आरती, मंत्र, और कथा के साथ-साथ सिद्धिदात्री माता का स्मरण करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं। नवरात्रि में इन प्रथाओं को अपनाकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करें।
महत्वपूर्ण सुझाव:
- आरती के समय घी का दीपक जलाएँ और लाल फूल अर्पित करें।
- मंत्र जाप के बाद प्रसाद में मीठे फल या हलवा वितरित करें।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!