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Shiv Ji Ke Mantra | Lord Shiva Mantra | मृत्यु पर विजय पाने वाली शक्तिशाली मंत्र पढ़ें।

भगवान शिव, जिन्हें महादेव, रुद्र और नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है, संहार और सृजन के देवता हैं। वे करुणा, शक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। सनातन धर्म में शिव मंत्रों का जप बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इन मंत्रों के उच्चारण से व्यक्ति को आत्मशुद्धि, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख शिव मंत्रों का अर्थ और उनका प्रभाव।

Shiva Panchakshari Mantra

ॐ नमः शिवाय।

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ (Om) – यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो पूरे सृष्टि का आधार मानी जाती है।
  • नमः (Namah) – इसका अर्थ होता है “नमन” या “प्रणाम”।
  • शिवाय (Shivaya) – यह भगवान शिव के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है “कल्याणकारी” या “मुक्तिदाता”।

 अर्थ:

“ॐ नमः शिवाय” का अर्थ है – “मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ” या “भगवान शिव को समर्पित हूँ”। यह मंत्र शिव भक्ति का प्रतीक है और व्यक्ति के जीवन में शांति, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।


 

Rudra Mantra

ॐ नमो भगवते रूद्राय

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ (Om) – यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो सृष्टि, ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक है।
  • नमो (Namo) – इसका अर्थ “नमन” या “प्रणाम” होता है।
  • भगवते (Bhagavate) – यह शब्द “भगवान” के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ “ईश्वर” या “दिव्य शक्ति” है।
  • रूद्राय (Rudraya) – यह भगवान शिव के उग्र और संहारक रूप “रुद्र” को संदर्भित करता है, जो बुराई और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाले हैं।

अर्थ:

“ॐ नमो भगवते रूद्राय” का अर्थ है – “मैं भगवान रुद्र (शिव) को नमन करता हूँ।” यह मंत्र भगवान शिव के रुद्र स्वरूप की उपासना के लिए प्रयोग किया जाता है और इसे जपने से व्यक्ति को शक्ति, साहस, नकारात्मकता से मुक्ति और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है।


 

Shiv Dhyan Mantra

मंत्र:

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वा अपराधम् ।
विहितं अविहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

मंत्र का अर्थ:

  • करचरणकृतं (Kara-Charana-Kritam) – हाथों और पैरों से किए गए पाप।
  • वाक् कायजं (Vaak-Kaayajam) – वाणी और शरीर द्वारा किए गए पाप।
  • कर्मजं वा (Karmajam Vaa) – कर्मों द्वारा किए गए पाप।
  • श्रवणनयनजं वा (Shravana-Nayanajam Vaa) – कानों और आंखों द्वारा किए गए पाप।
  • मानसं वा अपराधम् (Maanasam Vaa Aparaadham) – मन से किए गए पाप।
  • विहितं अविहितं वा (Vihitam Avihitam Vaa) – जाने-अनजाने में किए गए पाप।
  • सर्व मेतत् क्षमस्व (Sarvam Etat Kshamasva) – हे प्रभु, कृपया मेरे सभी अपराधों को क्षमा करें।
  • जय जय करुणाब्धे (Jaya Jaya Karunaabdhe) – हे करुणा के सागर, आपकी जय हो, आपकी जय हो।
  • श्री महादेव शम्भो (Shri Mahadeva Shambho) – हे महादेव, हे शम्भो!

अर्थ:

इस श्लोक में भक्त भगवान महादेव (शिव) से प्रार्थना करता है कि वे उसके द्वारा हाथों, पैरों, वाणी, शरीर, कर्म, कान, आंखों और मन से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों को क्षमा करें। शिव को करुणा का सागर कहा गया है, इसलिए भक्त उनकी असीम कृपा की याचना करता है।


Shiva Gayatri Mantra

मंत्र:

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे
महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात॥

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ (Om) – यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो संपूर्ण सृष्टि की ऊर्जा का प्रतीक है।
  • तत्पुरुषाय विद्महे (Tatpurushaya Vidmahe) – हम उस दिव्य पुरुष (परमेश्वर) को जानने का प्रयास करें।
  • महादेवाय धीमहि (Mahadevaya Dhimahi) – हम महादेव (भगवान शिव) का ध्यान करें।
  • तन्नो रुद्रः प्रचोदयात (Tanno Rudrah Prachodayat) – वे रुद्र (शिव) हमें सही ज्ञान और बुद्धि की प्रेरणा दें।

अर्थ:

इस रुद्र गायत्री मंत्र में हम भगवान महादेव का ध्यान करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हमें सही ज्ञान, आध्यात्मिकता और आत्मबोध की प्रेरणा दें। यह मंत्र साधक को शक्ति, शांति और मोक्ष की ओर ले जाता है।


 

Maha Mrityunjaya Mantra

मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ (Om) – यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो दिव्य ऊर्जा और चेतना का प्रतीक है।
  • त्र्यम्बकं (Tryambakam) – भगवान शिव को तीन नेत्रों वाला (त्रिनेत्रधारी) कहा जाता है, जो भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता हैं।
  • यजामहे (Yajamahe) – हम आपकी पूजा करते हैं और आपकी आराधना करते हैं।
  • सुगन्धिं (Sugandhim) – जो दिव्य सुगंध से युक्त हैं, अर्थात् जिनकी कृपा से पूरा ब्रह्मांड महकता है।
  • पुष्टिवर्धनम् (Pushtivardhanam) – जो जीवनशक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ाने वाले हैं।
  • उर्वारुकमिव (Urvarukamiva) – जैसे पक चुका फल बेल (ककड़ी) के बंधन से मुक्त हो जाता है।
  • बन्धनान् (Bandhanan) – संसार के बंधनों से।
  • मृत्योः मुक्षीय (Mrityor Mukshiya) – हमें मृत्यु (अज्ञान, पीड़ा) से मुक्त करें।
  • माऽमृतात् (Maamritat) – किंतु अमरता प्रदान करें, अर्थात् मोक्ष और शाश्वत जीवन प्रदान करें।

 अर्थ:

इस महामृत्युंजय मंत्र में भगवान शिव की आराधना की जाती है। इसमें प्रार्थना की जाती है कि जैसे एक पका हुआ फल बेल से स्वतः मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करें। यह मंत्र आरोग्य, दीर्घायु और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने वाला माना जाता है।


 

Shiva Mantra

मंत्र:

मृत्युञ्जयाय रुद्राय
नीलकण्ठाय शंभवे।
अमृतेषाय सर्वाय
महादेवाय ते नमः॥

मंत्र का अर्थ:

  • मृत्युञ्जयाय (Mrityunjayaya) – जो मृत्यु पर विजय पाने वाले हैं, अर्थात् महामृत्युंजय शिव
  • रुद्राय (Rudraya) – भगवान शिव के उग्र रूप, जो संहार और पुनर्जन्म के स्वामी हैं।
  • नीलकण्ठाय (Neelakanthaya) – जिनका कंठ नीला है, क्योंकि उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष का पान किया था।
  • शंभवे (Shambhave) – जो सभी प्राणियों को शांति और कल्याण प्रदान करने वाले हैं।
  • अमृतेषाय (Amriteshaya) – जो अमरत्व के स्वामी हैं और भक्तों को अमरत्व का आशीर्वाद देते हैं।
  • सर्वाय (Sarvaya) – जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।
  • महादेवाय (Mahadevaya) – जो देवों के देव महादेव हैं।
  • ते नमः (Te Namah) – आपको नमन और प्रणाम

अर्थ:

इस मंत्र में भगवान महादेव (शिव) की महिमा, कृपा और संहारक रूप की स्तुति की गई है। भक्त भगवान शिव से मृत्यु से मुक्ति, कल्याण, अमरत्व और संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा की प्रार्थना करता है।


Karpura Gauram

कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि॥

मंत्र का अर्थ:

  • कर्पूरगौरं (Karpur Gauram) – जो कर्पूर (कपूर) के समान गौरवर्ण (श्वेत) हैं, अर्थात् अत्यंत निर्मल और दिव्य
  • करुणावतारं (Karunavataram) – जो दया और करुणा के अवतार हैं, सभी प्राणियों पर अनुकंपा करने वाले।
  • संसारसारं (Sansar Saaram) – जो इस संसार का सार (मूल तत्व) हैं, जिनके बिना संसार अधूरा है।
  • भुजगेन्द्रहारम् (Bhujagendra Haram) – जिनके गले में सर्पराज (नागों का राजा) का हार सुशोभित है।
  • सदावसन्तं हृदयारविन्दे (Sada Vasantam Hridayaravinde) – जो सदा भक्तों के हृदय रूपी कमल में निवास करते हैं
  • भवं भवानीसहितं नमामि (Bhavam Bhavani Sahitam Namami) – मैं भगवान शिव और माता भवानी (पार्वती) को प्रणाम करता हूँ

 अर्थ:

इस मंत्र में भगवान शिव की स्तुति की गई है। वे कपूर की तरह उज्ज्वल, दया के सागर, संसार का आधार और सर्पों का हार धारण करने वाले हैं। वे भक्तों के हृदय में सदा निवास करते हैं और माता पार्वती (भवानी) के साथ विराजमान हैं। यह मंत्र शिव भक्ति, शांति और आंतरिक शुद्धता प्रदान करता है।


यहां 👉 शिव रुद्राकष्टम् पढ़े।

निष्कर्ष 

भगवान शिव के ये दिव्य मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाते हैं, बल्कि हमारे जीवन में शांति, शक्ति, साहस और मोक्ष प्रदान करने की क्षमता भी रखते हैं। शिव भक्ति हमें अहंकार, भय और नकारात्मकता से मुक्त करके आंतरिक शुद्धता, ज्ञान और करुणा का मार्ग प्रशस्त करती है।

शिव पंचाक्षरी मंत्र हमें समर्पण सिखाता है, रुद्र मंत्र हमें साहस देता है, महामृत्युंजय मंत्र आरोग्य और दीर्घायु प्रदान करता है, और शिव गायत्री मंत्र बुद्धि व आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है। “करचरणकृतं वाक्” स्तोत्र हमें प्रायश्चित और क्षमा का महत्व बताता है, और “कर्पूरगौरं” मंत्र हमें शिव की निर्मलता और करुणा का स्मरण कराता है।

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