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शिव आवाहन मंत्र || Shiva Aahvaan Mantra || 26 फ़रवरी 2025 महाशिवरात्रि पर पाठ का विशेष महत्व जाने।

शिव आवाहन मंत्र || Shiva Aahvaan Mantra

शिव आह्वान त्रमं बहुत अध्यात्म और मोक्ष का एक सरल मार्ग का मंत्र है। जो भगवान शिव को समर्पित है, यह शिव आह्वान मंत्र (Shiv Aahvaan Mantra) आत्मज्ञा, मोक्ष का मार्ग दिखाता हैं, और मृत्यु के डर से भी मुक्ति दिलाता है। इस मंत्र का प्रतिदिन पाठ करने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। इस मंत्र में भगवान शिव का माहिम का वर्णन किया गया है, जो शिव जी को स्वयं मृत्युंजय माना गया हैं, और इस मंत्र से किसी भी व्यक्ति और जीव का आत्मा शुद्ध किया जा सकता है। और भगवान शिव जी के समक्ष बैठकर इस मात्र के जाप करने से ही मानसिक स्थिति में सुधार होने लगता है।

शिव आवाहन मंत्र || Shiva Aahvaan Mantra

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

नमो ब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।


शिव आवाहन मंत्र का अर्थ || Shiva Ahvaan Mantra Meaning in Hindi

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन।
अर्थ:- हे मृत्युंजय (मृत्यु को जीतने वाले), जो समस्त जगत के भय को नष्ट करने वाले हैं।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती।।

अर्थ:- हे देवों के ईश्वर! आपके ध्यान से मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति भी पुनः जीवन प्राप्त कर सकता है।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने।
अर्थ:- मैं ईशान दिशा के स्वामी भगवान शिव को नमन करता हूँ, जो पिनाक (त्रिशूल) धारण करते हैं।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।
अर्थ:- जो आदि, मध्य और अंतरहित हैं, वे मेरी मृत्यु को नष्ट करें।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने।
अर्थ:- उन भगवान को नमन है जो कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं।

नमो ब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।
अर्थ:- ब्रह्मा और इंद्र के स्वरूप वाले भगवान शिव मेरी मृत्यु को समाप्त करें।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः।
अर्थ:- तीन नेत्रों वाले भगवान शिव को और पंचमुखी स्वरूप वाले शिव को बार-बार नमन है।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय।।
अर्थ:- जिनकी भुजाएँ अत्यंत शक्तिशाली हैं और जो धनुषधारी हैं, वे मेरी मृत्यु को नष्ट करें।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च।
अर्थ:- जो अर्धचंद्र धारण किए हुए हैं और दिगंबर (वस्त्रहीन, सम्पूर्ण ब्रह्मांड को ही वस्त्र मानने वाले) हैं, उन्हें नमन।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय।।
अर्थ:- जो भक्तों के कष्टों का नाश करते हैं, वे मेरी मृत्यु का भी विनाश करें।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम्।
अर्थ:-जो मृत्यु का विनाश करने वाले हैं, भय को हरने वाले हैं, और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम्।।
अर्थ:- जो अनेकों भूतगणों से युक्त हैं और स्वर्ग में देवताओं द्वारा सदा पूजित हैं।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम्।
अर्थ:- जो अज्ञान रूपी अंधकार का नाश करने वाले हैं, शुभ देने वाले हैं और विद्या तथा सुख प्रदान करते हैं।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये।।
अर्थ:-जो संपूर्ण जगत के स्वामी हैं, महेश्वर हैं, सभी दुखों का नाश करने वाले हैं, उन मृत्युंजय शिव का मैं ध्यान करता हूँ।

🔱 हर हर महादेव 🔱


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शिव आवाहन मंत्र के लाभ | Benifit Of Shiv Aahvaan Mantra

इस मंत्र के नियमित पाठ करने से भक्तों के मन से मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। मानसिक, अशांति, डर, भय सभी पूर्ण रूप से दूर हो जाता है, इस मंत्र को अपने दिनचर्या में शामिल करने से व्यक्ति के आत्म ज्ञान में वृद्धि होती है। जो नकारात्मक प्रभाव, ऊर्जा का नाश होता है, और भगवान शिव शत्रुओं से रक्षा करते हैं।

शिव आवाहन मंत्र Shiva Aahvaan Mantra विधि

इस मंत्र को भगवान शिव के पूजा करने के समय शिव आह्वान (Shiv Aahavaan Mantra) का जाप भगवान को पूजा में बुलाने के लिए किया जाता हैं। इस मंत्र के जाप करने के विधि, आप सबसे पहले स्नान करे साफ सुथरा वस्त्र पहने, और शिवलिंग के समक्ष जाए, पूजा के जगह को गंगा जल से पवित्र करें, फिर भगवान शिव को मन में ध्यान कर के इस मंत्र का जाप करें।

  1. शुद्धिकरण: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग/मूर्ति स्थापित करें।
  2. पूजा सामग्री: बेलपत्र, धूप, दीप, सफेद फूल, चंदन, और दूध जैसी पवित्र वस्तुएं तैयार करें।
  3. ध्यान एवं आह्वान: शिवलिंग के समक्ष बैठकर भगवान शिव का मन में ध्यान करें। मंत्र के साथ उन्हें पूजा स्थल पर आमंत्रित करें।
  4. मंत्र जाप: रुद्राक्ष माला से 108 बार मंत्र का जाप करें। सुबह या संध्या समय जाप करना विशेष फलदायी है।
  5. प्रसाद समर्पण: जल, दूध, या भांग अर्पित करें और शिव की कृपा की प्रार्थना करें।

लाभ: इस मंत्र से अकाल मृत्यु, रोग, और भय दूर होते हैं। भक्ति बढ़ती है और शिव की उपस्थिति का अनुभव होता है।
ध्यान रखें: पूजा के बाद गरीबों को दान देना और शिवपुराण के नियमों का पालन करना आवश्यक है।

निष्कर्ष:
भगवान शिव के इस आवाहन मंत्र का जाप करने से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मा भी शुद्ध होती है। यह मंत्र हमें अहंकार से मुक्त होकर, एक संतुलित और शांतिपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देता है। शिव कृपा से साधक का जीवन उज्ज्वल और कल्याणकारी बनता है। अतः प्रत्येक शिव भक्त को इस मंत्र का नियमित रूप से जप करना चाहिए।

हर हर महादेव!

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