To get your site ready to show ads, copy and paste this HTML tag between the tags on each page of your site. भूतनाथ अष्टकम् Bhootnath Ashtakam अर्थ सहित

भूतनाथ अष्टकम् Bhootnath Ashtakam अर्थ सहित || भूतनाथ अष्टकम् || शिव शिव शक

भूतनाथ अष्टकम में भगवान शिव के भूतनाथ रुप का वर्णन किया गया हैं। यह भूतनाथ अष्टकम बहुत शक्तिशाली माना गया है, जो शिव जी के अनेक लीलाओं व गुण और शक्ति का वर्णन किया गया है। भूतनाथ अष्टकम श्री कृष्ण दास जी महाराज के द्वारा रचा गया है।

भूतनाथ अष्टकम् (Bhootnath Ashtakam) – अर्थ सहित

श्लोक:

शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्
घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥१

अर्थ:
मैं शिव की पूजा करता हूँ, जो शक्ति के स्वामी, संहारकर्ता, और कल्याणकारी स्वरूप हैं। वे नित्य नवीन तांडव नृत्य करते हुए ब्रह्मांडीय ध्वनि (नाद) उत्पन्न करते हैं। उनकी उपस्थिति घने घुमड़ते बादलों और गर्जनाभरे तूफान की तरह है। मैं भस्म से लिपटे, सभी प्राणियों के स्वामी (भूतनाथ) की आराधना करता हूँ।

श्लोक:

कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम्
डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम्
सम सम शक्तग्रिवं सर्वभूतं सुरेशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥२

अर्थ:
शिव काल के स्वरूप हैं, जो भयानक लहरों की तरह प्रलय लाते हैं। उनका डमरू (डम-डम) का नाद ब्रह्मांड में गूँजता है। वे शक्तिशाली गर्दन वाले, सभी प्राणियों और देवताओं के स्वामी हैं। भस्मधारी भूतनाथ की मैं बार-बार पूजा करता हूँ।

श्लोक:

रम रम रामभक्तं रमेशं रां रारावम्
मम मम मुक्तहस्तं महेशं मं मधुरम्
बम बम ब्रह्मरूपं बामेशं बं विनाशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥३

अर्थ:
शिव श्रीराम के भक्त हैं और लक्ष्मी के स्वामी (रमेश) हैं। वे मुक्त हस्त से वरदान देने वाले, मधुर स्वभाव वाले महादेव हैं। ब्रह्म के स्वरूप और वाम मार्ग के अधिपति होकर वे अशुद्धियों का विनाश करते हैं। मैं उन भस्माङ्ग भूतनाथ की आराधना करता हूँ।

श्लोक:

हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम्
खमखम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम्
द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥४

अर्थ:
शिव विष्णु (हरि) के प्रिय हैं और तीनों प्रकार के तापों (आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक) का नाश करते हैं। वे क्षमाशील हैं, पापियों को भी क्षमा करते हैं, और ध्यान की मूर्ति हैं। सगुण स्वरूप में प्रकट होकर वे सभी को धारण करते हैं। मैं उनकी भक्ति करता हूँ।

श्लोक:

पम पम पापनाशं प्रज्वलं पं प्रकाशम्
गम गम गुह्यतत्त्वं गिरीशं गं गणानाम्
दम दम दानहस्तं धुन्दरं दं दारुणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥५

अर्थ:
शिव पापों का नाश करते हैं और प्रकाश के मार्ग पर ले जाते हैं। वे गिरिश (पर्वतों के स्वामी) और गणों के नेता हैं। उदार हस्त से दान देने वाले, किंतु रौद्र रूप धारण करने वाले भूतनाथ की मैं पूजा करता हूँ।

श्लोक:

गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम्
टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम्
भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥६

अर्थ:
शिव दुर्गम पथ के स्वामी हैं। उनकी मुंडमाला (खोपड़ियों की माला) टंकार ध्वनि करती है। वे भ्रमर की तरह घूमते हुए भैरव रूप में क्षेत्रपाल (पवित्र स्थानों के रक्षक) हैं। मैं भस्मधारी भूतनाथ की शरण लेता हूँ।

श्लोक:

त्रिशुळधारी संहारकारी गिरिजानाथम् ईश्वरम्
पार्वतीपति त्वम्मायापति शुभ्रवर्णम्महेश्वरम्
कैळाशनाथ सतीप्राणनाथ महाकालम्कालेश्वरम्
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ॥७

अर्थ:
त्रिशूल धारण करने वाले, गिरिजा (पार्वती) के पति, माया के स्वामी, और कैलाश निवासी शिव महाकाल (समय के स्वामी) हैं। चंद्र को मुकुट में धारण करने वाले भूतनाथ की मैं पूजा करता हूँ।

श्लोक:

नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदा शिवाय नमो नमः
यक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमः
इंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमः
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ॥८

अर्थ:
नीले कंठ वाले, यक्ष रूपी, जटाधारी, नागों के देवता, त्रिनेत्री, और गंगाधारी शिव को नमन है। चंद्र-किरीट धारण करने वाले भूतनाथ की मैं आराधना करता हूँ।


अंतिम प्रार्थना

श्लोक:
तव कृपा कृष्णदासः भजति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः स्मरति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पश्यति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पिबति भूतनाथम् ॥०

अर्थ:
हे भूतनाथ! आपकी कृपा से कृष्णदास आपकी भक्ति करता है, आपको स्मरण करता है, आपके दर्शन पाता है, और आपके तत्त्व को आत्मसात करता है।

                                                                                                         रचयित -श्रीकृष्णदास


यहां शिव स्तुति पढ़ें।

भूतनाथ स्त्रोत के फायदे

इस स्त्रोत का नियमित पाठ करने से भूत प्रेत से रक्षा होती है, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं। मानसिक शांति चिंता, भय दूर होता है और भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भूतनाथ अष्टकम करने की विधिः सुबह ब्रह्म मुहूर्त में अस्नान कर लें और अपने मन को शान्त करें, और शिवलिंग के सामने बैठकर भूतनाथ अष्टकम का पाठ करें। मासिक शिवरात्रि, महाशिवरात्रि और सोमवार के दिन काफी लाभदायक होता है।

 

 

Leave a Comment