यह गुरुवार मंत्र (Guruwar Mantra) भगवान श्री हरि विष्णु भी को अत्यंत पवित्र और प्रिय मंत्र में से एक है। यह भगवान विष्णु जी के अंत कृपा और ब्रह्मांडीय सर को समर्पित है। यह गुरुवार मंत्र Guruwar Mantra हमारे मन को शुद्ध करता है बल्कि भगवान श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने का सरल मार्ग भी है।
मंत्र:- 1
दन्ताभये चक्रधरं दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिङ्गितमब्धिपुत्रया,
लक्ष्मीर्गणेशं कनकाभमीडे॥
शान्ताकारं भुजङ्गशयनं,
पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृश्यं,
मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं,
योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं,
Guruwar Mantraसर्वलोकैकनाथम्॥
ॐ नमो नारायणाय नमः।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
मंत्र:- 2
गुरु ग्रह (बृहस्पति) और दिव्य ज्ञान के साथ जुड़े बीज मंत्रों की शक्ति को समझने की यात्रा पर। ये मंत्र न केवल जीवन में समृद्धि और बुद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं, बल्कि अंधकार को दूर कर आत्मविश्वास और सफलता की ऊर्जा से भर देते हैं।
चलिए, इन पावन मंत्रों के साथ शुरुआत करें:
बृहस्पति और गुरु तत्व के बीज मंत्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नमः।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नमः।
ॐ गुं गुरवे नमः।
मंत्रों का अर्थ और महत्व
- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
- बीजाक्षर “बृं”: बृहस्पति की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक।
- प्रभाव: यह मंत्र ज्ञान, विवेक, और शिक्षा में सफलता देता है। विद्यार्थियों, शिक्षकों, और नेताओं के लिए विशेष लाभकारी।
- ॐ क्लीं बृहस्पतये नमः
- बीजाक्षर “क्लीं”: आकर्षण और सृजन की शक्ति।
- प्रभाव: यह मंत्र जीवन में सौभाग्य, धन, और रिश्तों में सद्भाव लाता है। इच्छाओं को पूरा करने का साधन।
- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
- त्रयी बीज “ग्रां-ग्रीं-ग्रौं”: गुरु तत्व की त्रिधारा।
- प्रभाव: अज्ञानता और अवरोधों को दूर करता है। आध्यात्मिक और सांसारिक लक्ष्यों में संतुलन बनाए रखने की शक्ति।
- ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नमः
- ऐं (सरस्वती) + श्रीं (लक्ष्मी): ज्ञान और समृद्धि का समन्वय।
- प्रभाव: मन की एकाग्रता बढ़ाता है और कलात्मक प्रतिभा को जगाता है।
- ॐ गुं गुरवे नमः
- बीजाक्षर “गुं”: गुरु की शक्ति का सार।
- प्रभाव: आंतरिक शक्ति, नैतिक बल, और जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
कैसे करें इन मंत्रों का प्रयोग?
- समय: बृहस्पतिवार का दिन और सुबह का ब्रह्ममुहूर्त (4-6 बजे) सर्वोत्तम।
- माला: पीले रंग की रुद्राक्ष या तुलसी माला का प्रयोग करें।
- संख्या: प्रत्येक मंत्र को 108 बार जपें।
- ध्यान: बृहस्पति के पीले वस्त्र, अक्षत, और पीले फूलों के साथ ध्यान करें।
क्यों जरूरी है यह साधना?
बृहस्पति, ज्योतिष में “गुरु ग्रह” कहलाते हैं, जो हमारे भाग्य, नैतिकता, और उच्च शिक्षा के कारक हैं। ये मंत्र:
- जीवन में आशावाद और सकारात्मकता बढ़ाते हैं।
- निर्णय लेने की क्षमता को तीक्ष्ण करते हैं।
- कुंडली में बृहस्पति के कमजोर प्रभाव को दूर करते हैं।
यहां 👉 श्री हरि विष्णु चालीसा पढ़ें।
अंतिम विचार
ये बीज मंत्र केवल शब्द नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा के स्रोत हैं। इन्हें नियमित रूप से जपने से आपके विचार, कर्म, और आसपास का वातावरण भी परिवर्तित होने लगता है। चाहे आपकी चाहत शिक्षा में उत्कृष्टता हो, करियर में प्रगति, या आत्मिक शांति — बृहस्पति की कृपा सब कुछ संभव कर सकती है।
आज से ही इन मंत्रों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और स्वयं अंतर देखें!
हरि ॐ! 🙏
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