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शिव ध्यान मंत्र: Shiva Mantra for success || महाशिवरात्रि के पवित्र पर्व पर शिव जी का जप करने वाला शक्तिशाली मंत्र।

शिव ध्यान मंत्र: यह मंत्र भगवान शिव के आराधना का एक सरल मार्ग है, या कह लीजिए अंक प्रसन्न करने का सही मार्ग है। शिव ध्यान मंत्र (Shiv Dhyan Mantra) को श्रीशिव ध्यानम भी कहा जाता है। यह मंत्र आपको भगवान शिव से जोड़ता है, न बल्कि अध्यात्म उन्नति के मार्ग की ओर ले जाता है। शिव जी के ध्यान से भक्तों को नई ऊर्जा और साकारात्मकता की प्राप्ति होती है “शिव शयन मंत्र” Shiv Dhyan Mantra के द्वारा शिव जी के अनेक स्वरूप और गुणों को दर्शाता है।

Shiva Mantra for success सफ लता पाने के लिए यह शिव शयन मंत्र बहुत ही प्रभावशाली माना गया है, भगवान शिव को यह मंत्र समर्पित है। इसे सफलता शिव मंत्र (Shiv Mantra for Success) मंत्र भी माना गया हैं।

शिव ध्यान मंत्र || Shiv Dhyan Mantra || Shreeshiv Dhyanam

श्रीशिव ध्यानम्

ॐ डिं डिं डिंकत डिम्ब डिम्ब डमरु, पाणौ सदा यस्य वै।

फुं फुं फुंकत सर्पजाल हृदयं, घं घं च घण्टा रवम् ॥

वं वं वंकत वम्ब वम्ब वहनं, कारुण्य पुण्यात् परम् ॥

भं भं भंकत भम्ब भम्ब नयनं, ध्यायेत् शिवम् शंकरम् ॥

यावत् तोय धरा धरा धर धरा, धारा धरा भूधरा ॥

यावत् चारु सुचारु चारू चमरं, चामीकरं चामरं ॥

यावत् रावण राम राम रमणं, रामायणे श्रुयताम् ॥

तावत् भोग विभोग भोगमतुलम्, यो गायते नित्यसः ॥

यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं, टंट टंट टंटटम् ॥

तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं, खंख खंख सखंखम् ॥

डंस डंस डुडंस डुहि चकितं, भूपकं भूय नालम् ॥

ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः, पातु वः चंद्रचूडः ॥

गात्रं भस्मसितं सितं च हसितं, हस्ते कपालं सितम् ॥

खट्वांग च सितं सितश्च भृषभः, कर्णेसिते कुण्डले ॥

गंगाफनेसिता जटापशु पतेश्च, चंद्रः सितो मूर्धनि ॥

सोऽयं सर्वसितो ददातु विभवं, पापक्षयं सर्वदा ॥

इति श्रीशिव ध्यानम्


॥ श्रीशिव ध्यानम् ॥ Shiv Dhyan Mantra Lyrics In Hindi

मंत्र और अर्थ सहित

मंत्र:
ॐ डिं डिं डिंकत डिम्ब डिम्ब डमरु, पाणौ सदा यस्य वै।
फुं फुं फुंकत सर्पजाल हृदयं , घं घं च घण्टा रवम् ॥

अर्थ:
जिनके हाथों में सदा डमरू से डिंडिंकार नाद गूंजता है, जो अपने फूँक से सर्पों के जाल को हिलाते हैं और जिनके घंटे की ध्वनि गूंजती रहती है, उन भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।

मंत्र:
वं वं वंकत वम्ब वम्ब वहनं , कारुण्य पुण्यात् परम् ॥
भं भं भंकत भम्ब भम्ब नयनं , ध्यायेत् शिवम् शंकरम्॥

अर्थ:
जो संसार के कल्याण हेतु करुणा से भरपूर हैं, जिनकी दृष्टि भक्तों पर सदैव कृपा बनाए रखती है, उन परम कृपालु भगवान शंकर का ध्यान करना चाहिए।

मंत्र:
यावत् तोय धरा धरा धर धरा ,धारा धरा भूधरा॥
यावत् चारु सुचारु चारू चमरं , चामीकरं चामरं ॥
यावत् रावण राम राम रमणं , रामायणे श्रुयताम्॥
तावत् भोग विभोग भोगमतुलम् यो गायते नित्यस:॥

अर्थ:
जब तक यह धरती जलधाराओं से बनी रहेगी, जब तक स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित चंवर डोला करेंगे, जब तक रामायण में भगवान राम की लीलाएं गाई जाती रहेंगी, तब तक जो मनुष्य भगवान शिव का भजन करता रहेगा, उसे अतुलनीय सुख-संपत्ति की प्राप्ति होगी।

मंत्र:
यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं , टंट टंट टंटटम् ॥
तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं , खंख खंख सखंखम्॥

अर्थ:
जिनके समक्ष अद्भुत एवं रहस्यमयी ध्वनियाँ गूंजती हैं, जिनके प्रभाव से शंख, नगाड़े और अनोखी ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं, उन दिव्य भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।

मंत्र:
डंस डंस डुडंस डुहि चकितं , भूपकं भूय नालम् ॥
ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः पातु वः चंद्रचूडः॥

अर्थ:
जो देवता, असुर और समस्त प्राणी समुदाय को चकित कर देते हैं, जो समस्त जगत के रक्षक हैं, जो चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं, वे भगवान शिव हमारी रक्षा करें।

मंत्र:
गात्रं भस्मसितं सितं च हसितं हस्ते कपालं सितम् ॥
खट्वांग च सितं सितश्च भृषभः , कर्णेसिते कुण्डले ।
गंगाफनेसिता जटापशु पतेश्चनद्रः सितो मूर्धनि ।
सोऽयं सर्वसितो ददातु विभवं , पापक्षयं सर्वदा ॥

अर्थ:
जिनका शरीर भस्म से सुशोभित है, जो हाथ में खोपड़ी (कपाल) धारण किए हुए हैं, जो खट्वांग और बैल के वाहन पर विराजमान हैं, जिनके कानों में दिव्य कुंडल शोभायमान हैं, जिनकी जटाओं में गंगा विराजती हैं, जो चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं—वे सर्वश्वेत स्वरूप भगवान शिव हमें समस्त प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करें और हमारे समस्त पापों का नाश करें।

॥ इति श्रीशिव ध्यानम् ॥


यहां 👉 शिव आह्वान मंत्र पढ़ें।

शिव ध्यान मंत्र का जप विधिः

शिव ध्यान मंत्र जप करने की विधिः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ सुथरा वस्त्र धारण करें, किसी एकांत और पवित्र जगह का चुनाव करे ताकि मंत्र का जप करते समय कोई परेशानी न हो, उसके बाद सुखासन पर बैठे और अपने शरीर सही तनाव में रखें, भगवान शिव या उनकी मूर्ति का मन में ध्यान करें, उसके बाद शिव ध्यान मंत्र का जप करें।

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  • किसी एकांत और शांत स्थान का चयन करें, जहाँ मंत्र जाप में कोई बाधा न हो।
  • सुखासन में बैठें और अपने शरीर को सहज तथा तनावमुक्त रखें।
  • भगवान शिव की मूर्ति, चित्र या मानसिक रूप से उनके दिव्य स्वरूप का ध्यान करें।
  • एकाग्र चित्त होकर प्रेम और श्रद्धा भाव से शिव ध्यान मंत्र का जप करें।
  • मंत्र जाप के पश्चात भगवान शिव को प्रणाम करें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।
  • नियमित रूप से इस प्रक्रिया का पालन करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और शिव कृपा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

शिव ध्यान मंत्र एक अद्भुत साधना है, जो भक्त को शिवत्व की ओर अग्रसर करती है। यह केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और मोक्ष का द्वार है। जो व्यक्ति नित्य इस मंत्र का जाप करता है, वह जीवन के समस्त कष्टों से मुक्त होकर शांति और आनंद की अनुभूति करता है। शिव की कृपा से हमें आत्मिक बल और दिव्यता प्राप्त होती है।

हर हर महादेव!

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