श्री दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की स्तुति का एक दिव्य मार्ग है, जिसमें उनकी महिमा, रूप, शक्ति और कृपा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा के प्रतिदिन पाठ करने से भक्तों को सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए इसे अर्थ सहित पढ़ें और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।
श्री दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa
॥ दोहा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
अर्थ: हे माँ दुर्गा! आपको बारंबार नमन है। आप सभी को सुख देने वाली और सभी दुखों को हरने वाली हैं।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
अर्थ: आपकी ज्योति निराकार और अनंत है, और यह तीनों लोकों में प्रकाश फैलाती है।
॥ चालीसा प्रारंभ ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
अर्थ: आपके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है, आपका मुख विशाल और तेजस्वी है, और आपके नेत्र लाल और भृकुटि विकराल (क्रोध से तनी हुई) हैं।
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
अर्थ: हे माता! आपका दिव्य रूप अत्यंत सुंदर है, और आपके दर्शन से भक्तों को अपार सुख प्राप्त होता है।
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अर्थ: आपने ही संपूर्ण संसार को अपनी शक्ति से रचा और जीवों के पालन-पोषण के लिए अन्न और धन प्रदान किया।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
अर्थ: आप ही माता अन्नपूर्णा के रूप में जगत का पालन करती हैं और आप ही सबसे प्राचीन और सुंदर शक्ति हैं।
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
अर्थ: प्रलयकाल में आप ही संपूर्ण सृष्टि का संहार करती हैं। आप ही शिवशंकर (भगवान शिव) की प्रिय पत्नी, माता पार्वती हैं।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
अर्थ: भगवान शिव और सभी योगी आपके गुणों का गुणगान करते हैं, और ब्रह्मा तथा विष्णु भी सदा आपका ध्यान करते हैं।
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
अर्थ: आप ही माँ सरस्वती के रूप में विद्या प्रदान करती हैं और ऋषि-मुनियों को उत्तम बुद्धि देकर उनका उद्धार करती हैं।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
अर्थ: हे माता! आपने नरसिंह रूप धारण करके खंभे से प्रकट होकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की।
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
अर्थ: आपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और असुर हिरण्याक्ष का वध करके उसे स्वर्गलोक भेज दिया।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
अर्थ: आप ही लक्ष्मी के रूप में संसार में व्याप्त हैं और भगवान नारायण के हृदय में निवास करती हैं।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
अर्थ: आप ही हिंगलाज (पाकिस्तान में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ) में विराजमान हैं, आपकी महिमा का बखान करना असंभव है।
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
अर्थ: आप ही मातंगी, धूमावती, भुवनेश्वरी और बगला देवी हैं, जो भक्तों को सुख प्रदान करती हैं।
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
अर्थ: हे भवानी! आप सिंह पर विराजमान हैं, और हनुमानजी (लांगूर वीर) आपकी सेना का नेतृत्व करते हैं।
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
अर्थ: आपके हाथ में खप्पर (कपाल) और तलवार सुशोभित हैं, जिन्हें देखकर स्वयं काल (मृत्यु) भी भयभीत हो जाता है।
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
अर्थ: आपके हाथों में शस्त्र और त्रिशूल सुशोभित हैं, जिनका स्मरण मात्र करने से शत्रुओं के हृदय में पीड़ा उत्पन्न हो जाती है।
॥ स्तुति का फल ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
अर्थ: जो भक्त प्रेम और भक्ति से आपका यश गाते हैं, उनके पास कभी भी दुख और गरीबी नहीं आती।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
अर्थ: जो भी व्यक्ति मन से आपका ध्यान करता है, वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
अर्थ: योगी, देवता और मुनि बार-बार कहते हैं कि बिना आपकी शक्ति के कोई भी साधना सफल नहीं हो सकती।
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
अर्थ: हे माता! मुझे अत्यधिक कष्ट घेर रहे हैं, आपके सिवा मेरे दुखों को दूर करने वाला और कोई नहीं है।
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
अर्थ: जो भी भक्त श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, वह सभी सुख भोगता है और अंत में परमपद (मोक्ष) प्राप्त करता है।
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
अर्थ: हे जगदंबा भवानी! देवीदास (कवि) को अपना शरणागत जानकर उन पर कृपा करें।
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॥ श्री दुर्गा चालीसा का महत्व ॥
- जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ इस चालीसा का पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- माता दुर्गा सभी दुखों, भय, रोग, शत्रुओं और दरिद्रता का नाश करती हैं।
- यह चालीसा शक्ति, भक्ति, सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करती हैं।
“दुर्गा चालीसा” का जाप करें और माँ की कृपा प्राप्त करें!